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दिल्ली की आप सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन व महाराष्ट्र के नवाब मलिक जेल में बंद है।उन्हें डी कंपनी की संपत्तियों की खरीदी से जुड़े केस में गिरफ्तार किया गया था।इन दोनों को बर्खास्त करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है।
मंत्री जैन व मालिक को अलग-अलग मामलो में गिरफ्तार किया गया था। दोनों नेता अभी न्यायिक हिरासत में है गुरुवार को मामले की अर्जेंट सुनवाई की मांग करते हुए अवकाशकालीन पीठ के जस्टिस सीटी रविकुमार और सुधांशु धुलिया के समक्ष रखा गया था। यह पीआईएल अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने वकील अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर की है।इस याचिका में दोनों मंत्रियों के संबंधित राज्यसरकार से उन्हें बर्खास्त करने की मांग की गयी है।याचिका में कहा गया है कि एक मंत्री न केवल एक लोक सेवक है, बल्कि एक विधायक भी है। उसे आईएएस अधिकारियों व अन्य लोक सेवकों की तरह दो दिनों की न्यायिक हिरासत के बाद पद से अस्थायी रूप से हटा दिया जाना चाहिए।
उपाध्याय ने याचिका की अर्जेंट सुनवाई का आग्रह करते हुए कहा कि यह मामला संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) का गंभीर उल्लंघन है। सुनवाई कर रही पीठ ने कहा कि याचिका पर संभवत: अगले सप्ताह सुनवाई हो सकती है। ऐसे मामले पहले सीजेआई के सामने पेश किए जाएंगे उसके बाद ही इन्हें सूचीबद्ध किया जाता है।
इसी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह भी कहा गया है कि वह संविधान की संरक्षक होने के नाते अनुच्छेद 14 का लोक सेवकों के सही संदर्भ में पालन करने के प्रबंध के लिए विधि आयोग को निर्देश दे कि वह चुनाव कानूनों का परीक्षण करे। मंत्रियों, विधायकों व लोकसेवकों की गरिमा कायम रखने के लिए विधि आयोग को व्यापक रिपोर्ट तैयार करने को कहा जाना चाहिए।