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20 Aug, 2022 by Ardh Sainik News

संसदीय बोर्ड से हटाए जाने के बाद बोले सीएम शिवराज, कहा : राष्ट्र हित के लिए पार्टी जो काम देगी मैं करूंगा

भाजपा संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बाहर होने के बाद राजनीति का सियासी पारा गर्मा गया है। 2013 से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भाजपा की संसदीय बोर्ड के सदस्य थे। लेकिन अब उनकी जगह भाजपा के सीनियर नेता सत्यनारायण जटिया को सदस्य बनाया गया हैं।

 

वहीं संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हटाए जाने के सवाल खड़ा हो गया कि 2023 विधानसभा चुनाव में भाजपा किसके चेहरे पर चुनाव लड़ेगी। 2018 का विधानसभा चुनाव भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर लड़ा था और चुनाव में भाजपा सीटों के मामले में गई थी और सरकार बदल गई थी।

संसदीय बोर्ड से बाहर होने के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहली प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा कि मुझे बिल्कुल भी अहम नहीं है कि मैं ही योग्य हूं। पार्टी मुझे दरी बिछाने का काम देगी तो राष्ट्र हित में यह करूंगा। पार्टी मझे जहां रहने को कहेगी मैं वहीं रहूंगा। राजनीति में किसी को भी महत्वाकांक्षा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आप सिर्फ अपने देश के बारे में सोचिए , बाकी आपके लिए पार्टी हमेशा ही करती हैं। सीएम ने कहा कि मैं सिर्फ काम करता रहूंगा और निरंतर देश हित के लिए समर्पित रहूंगा।

 

दरअसल आज तक चैनल के एक निजी कार्यक्रम में उन्होंने इन बातों का जिक्र किया। सीएम ने बताया कि बीजेपी एक विशाल परिवार है और इसके प्रवाह में कोई आगे बढ़ता है तो कोई बाहर भी निकल आता हैं। केंद्रीय स्तर पर एक टीम होती है जो यह तय करती है कि किसे क्या काम देना है और कौन क्या काम करेगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा ने संसदीय बोर्ड में जिन्हें शामिल किया है वे सभी योग्य हैं। मैं भी पार्टी के निर्देशानुसार काम करूंगा।

 

बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बाहर कर दलित नेता सत्यनारायण जटिया को संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति में शामिल केंद्रीय नेतृत्व ने 2023 के लिए अपनी रणनीति का साफ संकेत दे दिया। संघ के करीबी और उज्जैन से सात बार सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया के सहारे प्रदेश में बीजेपी ने दलित कार्ड खेल दिया है। प्रदेश में अनुसूचित जाति के लिए 35 सीटें रिजर्व हैं। और पूरे मध्य प्रदेश की 84 विधानसभा सीटों पर दलित वोटर जीत हार तय करते हैं।